किसी भी बैटर के लिए सबसे खूबसूरत लम्हा शतक बनाना और टीम को जीत दिलाना होता है. शतक इस बात की तस्दीक करता है कि खिलाड़ी में ना सिर्फ टैलेंट है, बल्कि धैर्य भी है, जो क्रिकेट, खासकर टेस्ट मैच के लिए जरूरी है. अगर कोई बैटर दोहरा शतक बनाए, तब तो कहने ही क्या. दुनिया में ऐसे चुनिंदा खिलाड़ी ही हैं जिन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में दोहरे शतक लगाए हैं. और ऐसा क्रिकेटर तो दुनिया में एक ही है, जिसने टेस्ट मैच की चारों पारियों में दोहरे शतक लगाए हैं. वह क्रिकेटर कोई और नहीं, भारत के लाडले सुनील गावस्कर हैं.
सुनील गावस्कर का अनूठा कीर्तिमान
सुनील गावस्कर का जैसे ही जिक्र होता है, वैसे ही दो रिकॉर्ड याद आ जाते हैं. टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 10 हजार रन बनाने और सबसे पहले 34 शतक लगाने के रिकॉर्ड. गावस्कर ये रिकॉर्ड बनाने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर थे. हालांकि, ये रिकॉर्ड अब टूट चुके हैं. लेकिन उनका एक रिकॉर्ड ऐसा भी है, जो बरसों बाद भी कायम है. यह रिकॉर्ड है टेस्ट क्रिकेट की चारों पारियों में दोहरे शतक बनाने का, जिस तक कोई भी क्रिकेटर नहीं पहुंच पाया है.
गावस्कर के दोहरे शतक का सफल सफर
सुनील गावस्कर ने पहला दोहरा शतक 1971 में वेस्टइंडीज दौरे पर लगाया था. उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट मैच की तीसरी पारी में वेस्टइंडीज के खिलाफ 220 रन की पारी खेली थी. गावस्कर ने इस मैच की पहली पारी में भी 124 रन बनाए थे. भारत वेस्टइंडीज का यह मुकाबला ड्रॉ खत्म हुआ था.
सुनील गावस्कर ने करियर का दूसरा दोहरा शतक 1978 में वेस्टइंडीज के ही खिलाफ लगाया. लेकिन इस बार मैदान वेस्टइंडीज का नहीं, बल्कि मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम था. गावस्कर ने इस बार मैच की पहली पारी में ही 205 रन बनाए. हालांकि, इस बार भी भारतीय टीम सनी के दोहरे शतक का फायदा नहीं उठा पाई और मुकाबला ड्रॉ रहा.
सुनील गावस्कर का तीसरा दोहरा शतक 1979 में आया. यह भारत और इंग्लैंड का मुकाबला था. गावस्कर ने ओवल टेस्ट की चौथी पारी में 221 रन बनाए. यह क्रिकेट के सबसे रोमांचक टेस्ट मैचों में भी गिना जाता है, जिसमें इंग्लैंड ने भारत को 438 रन का पहाड़काय लक्ष्य दिया था. असंभव से लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत एक समय जीत के बेहद करीब था. अगर दो ओवर का खेल भी और होता तो भारत यह मैच जीत सकता था. जब यह मैच खत्म हुआ तब भारत का स्कोर 8 विकेट पर 429 रन था. भारत के इस शानदार जवाब में सुनील गावस्कर के दोहरे शतक की बड़ी भूमिका थी.
सुनील गावस्कर का चौथा दोहरा शतक 1983 में आया. लिटिल मास्टर ने एक बार फिर वेस्टइंडीज के गेंदबाजों को सबक सिखाते हुए 236 रन की नाबाद पारी खेली. गावस्कर ने चेन्नई में खेले गए टेस्ट मैच की दूसरी पारी में यह दोहरा शतक बनाया. इसके साथ ही वह दुनिया के ऐसे पहले क्रिकेटर बन गए, जिन्होंने टेस्ट मैच की चारों पारियों में दोहरे शतक लगाए हैं.
सुनील गावस्कर के इस अनूठे कीर्तिमान ने क्रिकेट के इतिहास में अद्वितीय स्थान बनाया है. उनके योगदान ने दिखाया है कि क्रिकेट खेल में न केवल स्कोर बनाने का विशेषज्ञ हो सकता है, बल्कि टीम को जीत में भी योगदान देने का संघर्ष कर सकता है. सुनील गावस्कर की यह सफलता उन्हें एक अनमोल खिलाड़ी बनाती है और उनका रिकॉर्ड आज भी टूटा नहीं है, जो 40 साल से भी अधिक का समय है. हम सभी उनकी इस शानदार करियर की बढ़ती हुई गतिविधियों का समर्थन करते हैं और उन्हें क्रिकेट के लिए हमारी शुभकामनाएं भेजते हैं. भारत का लाडला हमेशा हमारे दिलों में रहेगा।